जब कुछ लिखने का मन होता है सोचता हूँ, लिख देता हूँ। कोशिश करता हूँ, ख्याल गढ़ता हूँ। कुछ ख्याल ख़ास होते हैं, कुछ आम होते हैं। विश्लेषण करता हूँ, उन्हें पिरोता हूँ। रचियता हूँ, अपनी छवि बनाता हूँ। समय लगता है, प्रयास लगता है। परिणाम एक ऐसी रचना होती है, जो सरल, स्पस्ट और... Continue Reading →