रास्ते समाप्त हो जाते हैं, मगर मंज़िलें समाप्त नहीं होती। जोश पूर्णतः मिट जाता है, पर कुछ पाने की भूख नहीं मिटती। थक जाते हैं, टूट जाते हैं, लेकिन ये उम्मीद नहीं छूटती। नज़ारे ओझल हो जाते हैं, पर ये प्रयत्न का बांध ही नही फूटता। पूछता हूँ खुद से, क्या यूँ ही मंज़िल दर... Continue Reading →